इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन की जंग में अडानी पावर की टाटा पावर पर जीत, क्या है मामला जानने के लिए पूरा पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार को महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग और अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा लिमिटेड के 7000 करोड़ रुपये के विद्युत ट्रांसमिशन अनुबंध को बरकरार रखा है। इस मामले में टाटा पावर ने सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी दाखिल की थी। मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने टाटा पावर की याचिका को खारिज कर, अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (Aptel) के फैसले को बरकरार रखा है।

बता दें कि महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने बीते वर्ष मार्च 2021 मे अडानी समूह की कंपनी अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा लिमिटेड को 1000 MW HVDC (VSC आधारित) लिंक स्थापित करने के लिए ट्रांसमिशन लाइसेंस दिया था। टाटा पावर ने बिना बोली लगाए महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन द्वारा अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा को वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन दिए जाने के खिलाफ आपटेल का रुख किया था।

Aptel ने 18 फरवरी 2022 के अपने फैसले में महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग के मार्च 2021 के अडानी इलेक्ट्रिसिटी को लाइसेन्स देने के फैसले के खिलाफ टाटा पावर की अपील को खारिज कर दिया। Aptel ने अपीलकर्ता की ओर से दिए जाने वाले तर्क को ठोस ना मानते हुए अपील खारिज की। Aptel के इस फैसले से नाराज टाटा पावर ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाये थे। हालांकि वहां से भी नाराज़गी ही हाथ लगी।

नीलामी के बिना ट्रांसमिशन अनुबंध देने से कई निजी कंपनियां हैं नाराज

संपूर्ण भारत में पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया आयोजित किए बिना ही कई बार ट्रांसमिशन अनुबंध दे दिए जाते हैं। हालांकि 2006 की राष्ट्रीय टैरिफ नीति में कहा गया है कि अंतर-राज्यीय विद्युत पारेषण प्रणाली केवल टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से ही प्रदान की जानी चाहिए। लेह से हरियाणा को बिजली ट्रांसमिशन का 18,500 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट बिना बोली लगाए सरकारी पावर ग्रिड कॉर्प को देने के केंद्र के फैसले से कई निजी कंपनियां नाराज हैं।

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