वक़्त कब पलट जाए कोई नहीं बता सकता। जी हां कुछ ऐसा ही हुआ धीरूभाई अंबानी जी के सुपुत्र अनिल अंबानी के साथ। एक समय में दुनिया में अमीरों की सूची में छटवे स्थान पर आने वाले आज के समय मे एक के बाद एक कंपनी बेचने पर मजबूर हो चुके।
बता दें कि अनिल अंबानी द्वारा संचालित कंपनी रिलायंस कैपिटल बीते कई समय से कर्ज़ मे डूबते जा रहीं थीं। कर्ज़ के साथ ही कई अन्य मुसीबतों से भी जुझ रही थी। मुश्किलों से लड़ते हुए अनिल अंबानी अब अपनी हार मानने के बहुत करीब है।
यह कंपनी है अधिग्रहण में सबसे आगे
बीते बुधवार को अहमदाबाद की टॉरेंट ग्रुप ने रिलायंस कैपिटल के एनबीएफसी फर्म के अधिग्रहण के बदले 8640 करोड़ की रकम अदा करने का ऑफर दिया है। जो कि नीलामी प्रक्रिया में सबसे अधिक है। नीलामी की इस बोली प्रक्रिया में कीमत के आधार पर दूसरे स्थान पर हिंदुजा ग्रुप ने दूसरी सबसे अधिक बोली लगायी है।
रिलायंस कैपिटल से ऋण की राशि वसूलने के लिए कर्जदाताओं की समिति ने नीलामी प्रक्रिया का आयोजन किया है। नीलामी के लिए कर्जदाताओं ने 6500 करोड़ रुपये से बोली को शुरू किया है।
यह होगी नीलामी की अगली बोलियां
द्वितीय और तृतीय चरण की नीलामी में न्यूनतम बोली को 1000 करोड़ की दर से बढ़ाया जाएगा।
उपर्युक्त मामले से संबंधित आधिकारिक संस्था नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने आदेश जारी कर अगले वर्ष की 31 जनवरी तक कर्जदाताओं को समाधान प्रक्रिया का समापन करना है।
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