बीते 1 दिसम्बर से आरबीआई ने 8 पब्लिक, प्राइवेट और सहकारी बैंकों के साथ मिलकर डिजिटल रुपये की रीटेल टेस्टिंग शुरू कर दी है और बहुत ही जल्द आम लोगों के लिए भी यह लागू होने वाला है। बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसी बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक और यूनियन बैंक के साथ आरबीआई ने भारत के 13 शहरों में डिजिटल रुपया का रीटेल ट्रायल शुरू कर दिया है।
सभी की तरह आपके मन में भी यह सवाल होगा कि आखिरकार डिजिटल रुपये, यूपीआई और Paytm – PhonePe वाॅलेट मे क्या अन्तर होता है। इस सवाल के जवाब के लिए अंत तक पढ़ें।
क्या होता है डिजिटल रुपया और क्यों है जरूरी ?
आज के समय में लेनदेन के लिए प्रयोग किए जाने वाले नोट और सिक्कों का डिजिटल रूपांतरण ही डिजिटल रुपया है। इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी भी कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वास्तविक रूप से नोट या सिक्के दिए बिना ही लेनदेन करना है। 2022-23 वित्त वर्ष में वित्त मंत्री द्वारा इसकी घोषणा की गई थी। डिजिटल रुपया का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को भुगतान करने के लिए फिजिकल करेंसी के साथ एक और विकल्प देना है।
Digital Rupee और UPI मे क्या फर्क़ है?
UPI द्वारा किया गया ट्रांजैक्शन, आपको डिजिटल करंसी द्वारा किया गया लेने-देन लगता होगा। लेकिन ऐसा नहीं है UPI द्वारा किया गया लेन-देन फिजिकल करेंसी के जरिए ही चलता है। यूपीआई द्वारा किया गया ट्रांजैक्शन बैंक अकाउंट से बैंक अकाउंट मे ही होता है और बैंक अकाउंट, बैंक पर निर्भर करते है। वही डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा ही ऑपरेट और निगरानी रखी जाएगी। हालांकि बैंक डिजिटल करेंसी डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर काम करेंगे।
डिजिटल रुपया उपयोग करने के फायदे
- अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
- आपके साथ फिजिकल करेंसी रखने की अनिवार्यता को खत्म करेगा।
- बिना इंटरनेट के भी कर सकेंगे लेन देन।
- विदेशों मे पैसा भेजना होगा आसान।
डिजिटल रुपया उपयोग करने के नुकसान
- पैसे के लेनदेन की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी।
- डिजिटल रुपए पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।